तेज़ बनो ...भलाई का जमाना नहीं है
भला करोगी कुछ नहीं मिलेगा...
अपने बारे में सोचो ...खुद से मतलब रखो ...
और भी नहीं पता नहीं क्या-क्या ...
आते- जाते सिखा जाते हैं लोग ...
और मैं मौन ...
तमाम सवालों से घिरी रह जाती हूँ ...
कौन देगा जवाब ...
आप दोगे पापा ?...
या माँ तुम...?
बोलो ...
मैं ...जो मैं हूँ ...
जानती हूँ ...खुद को नहीं बदल पाउंगी ...
लेकिन जानती हूँ आज की इंसानियत
तभी तो ...केवल खुद से मतलब रखने की ...
गले से उतरती नहीं बात ...
भला करोगी कुछ नहीं मिलेगा...
अपने बारे में सोचो ...खुद से मतलब रखो ...
और भी नहीं पता नहीं क्या-क्या ...
आते- जाते सिखा जाते हैं लोग ...
और मैं मौन ...
तमाम सवालों से घिरी रह जाती हूँ ...
कौन देगा जवाब ...
आप दोगे पापा ?...
या माँ तुम...?
बोलो ...
मैं ...जो मैं हूँ ...
जानती हूँ ...खुद को नहीं बदल पाउंगी ...
लेकिन जानती हूँ आज की इंसानियत
तभी तो ...केवल खुद से मतलब रखने की ...
गले से उतरती नहीं बात ...
गहरी रचना...
ReplyDeleteexcellent...............
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete