Thursday, July 8, 2010

क्योंकि अब जीना है ...


जिंदगी बिताने को नहीं
अब जिंदगी को जीवन देने के लिए जीना है
बहुत हुआ अब दामन भिगोना ...
किसी की मुस्कान बनने को ...
अब जीना है
हमेशा ही चाहा कोई मार्गदर्शक ...
मगर अब ...
खुद किसी का सहारा बनने को जीना है
जिंदगी के रंगमंच पर एक बेहतरीन किरदार जीने को ...
अब मुझे जीना है ...
अतीत की तिलांजलि देकर ...
भविष्य खुशहाल बनाने को ...
अब इस वर्तमान में आत्मनिर्भर होकर...
मुझे जीना है ...

1 comment:

  1. अच्छी और सकारात्मक सोच...सुन्दर रचना

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